असर

मौसम में है नूर आज भी वही
जैसे कल की खिलती धूप में थी
महकी हुई है हवा आज भी वैसे
है किरणों में आज फिरसे वही खुशी

फिर भी कुछ तो था नया
शायद आसमान की अंगड़ाईयों में
सुनहरे बादल ओढ़े थे आंचल
या तेरे लबों से पिघलती हंसी की खनक थी

थी सरगोशी या सरगम में झंकार नया
कैसा अनोखा था ये ड़गर
साज़ के अनोखे आगाज़ का
ना थी मुझको कोई खबर

बेखुदी में था करार..और सवाल भी
जादू अब कुछ ऐसा छाया था
मुस्काते रहे हम सोच में ऐसे
ना साँसों का पता चला...हुआ है अब कुछ ऐसा असर

यूँ इस कदर खो जाएगा ये दिल
धड़कन को कहां थी ख़बर
चाह भी तुम, सफ़र भी तुम
तुम हो ख़यालों में शामिल 

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Comments

  1. Bekhudi main tha karar .... aur sawaal bhi .... Awesome :-)

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    1. Thank you so much dear.... for reading it the very same day. It's aways a great feeling to read your feedback. :)

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